Monday, December 17, 2018

कवि सम्मेलन इस बार भी बेहद सफ़ल रहा

शनिवार, 15 दिसम्बर 2018 की शाम 7:30 बजे से सांपला सांस्कृतिक मंच द्वारा आयोजित आठवां अखिल भारतीय हास्य कवि सम्मेलन शुरु हुआ और रात 01:00 बजे तक चलता रहा। आखिर मैनें संयोजक श्री अलीहसन मकरैंडिया जी को इशारा किया कि खाना भी खाना है, और ठंड बहुत ज्यादा लग रही है। श्रोता तो ओस से टपकते पंडाल से हिलने का भी नाम नहीं ले रहे हैं। 
मुख्यातिथि श्री तरुण पावरिया जी (SDM सांपला) और श्री दलजीत सिंह जी (तहसीलदार, सांपला) कार्यक्रम में नहीं आ सके क्योंकि अगले दिन रोहतक में नगर निगम के चुनावों के मद्देनजर आपको व्यवस्था संभालनी थी और जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी होने के कारण आपकी ड्यूटी थी। आपके आदेश पर सम्मेलन का शुभारम्भ पंचायती धर्मशाला सांपला में सुप्रसिद्ध चिकित्सक एवं कवि डॉ० गजराज कौशिक जी, समाजसेवी, लेखक और प्राध्यापक श्री रामकुमार गहलावत जी, श्री कुलबीर सिंह जी SHO थाना सांपला  एवं प्रसिद्ध समाजसेवी श्री रमेश मलिक जी ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया । शाम आठ बजे शुरू हुए सम्मेलन में इंदौर के हास्य कवि श्री अतुल ज्वाला जी के सफल संचालन ने श्रोताओं को हास्य, ओज, गीत सभी तरह की रचनाओं से रात  एक बजे तक बांधे रखा। 

जहाँ गाजियाबाद से आये अलीहसन मकरैंडिया और और राजेश मंडार ने ओज के तीरों से श्रोताओं में देशभक्ति का जोश भरा, वहीं दिल्ली के हरमिंदर पाल और बालाघाट के दिनेश देहाती ने हंसा हंसा कर लोगों से निरंतर तालियां बटोरी। पुणे से पधारे शारदेंदु शुक्ल ’शरद’ के व्यंग्य और प्रेरणा ठाकरे (नीमच) के काव्य-पाठ पर तालियों की गड़गड़ाहट से हॉल गूंज उठा। 

विशिष्ट अतिथि डॉ० गजराज कौशिक और आयोजन समिति के सदस्य डॉ० राजेश वशिष्ठ एवं अन्तर सोहिल ने भी अपनी रचनाओं से श्रोताओं को खूब गुदगुदाया। 

ये सांपला सांस्कृतिक मंच के लिये बेहद खुशी की बात है और इस आयोजन की सफलता के लिये मैं सांपला सांस्कृतिक मंच की ओर से आमंत्रित अतिथियों को धन्यवाद और सांपला निवासियों, आमंत्रित कवियों और मंच के सदस्यों को हार्दिक बधाई देता हूं।
फोटोज और वीडियोज जल्द ही दिखाये जायेंगे।

Tuesday, March 20, 2018

कवि सम्मेलन की बातें

2013 की बात है..चौथे कवि सम्मेलन का आयोजन किया था। अब तो थियेटर में आयोजन होता है, उस समय बडे पंडाल में किया करते थे...सबके लिये खुला...कोई पास वगैरा नहीं...(अब भी नहीं है) कोई भी आये-जाये.....सम्मेलन चलता रहता था .......कडकडाते दिसम्बर में भी रात डेढ-दो बजे तक........

तो अनामिका अम्बर की पारी आई......पढने के लिये खडी ही हुई थी कि .... कुछ कोलाहल सा हुआ। मंच के पीछे कुछ झगडे और गाली गलौज की आवाजें आने लगी। अच्छा..ऐसे खुले कार्यक्रमों में ये डर रहता है कि कोई भी एक-आध दबंग या अवांछित या अनिच्छुक सा या मद मदिरा या गैंग की ताकत के नशे में आकर 500 लोगों का मजा किरकिरा कर सकता है। मंच के बांई तरफ़ कोने में भी एक-दो लोग खडे किसी को गालीयां-धमकियां दे रहे थे। मेरी हवा गुल या कहें टाइट हो गयी ....... एक तो भीरु प्रवृति का मैं...लडाई झगडे-फसाद से दूर रहने वाला...दूसरा कार्यक्रम का आयोजक/संयोजक भी....... क्रोध, भय, निराशा कई भाव आ-जा रहे थे। अनामिका और अरूण जैमिनी के साथ एक और कवि को सुनना बाकी था। सभी मेरे पसन्दीदा........लगा कार्यक्रम को यहीं विराम लगाना पड सकता है। डरते हुये इशारों से उन्हें समझाया ....हाथ भी जोडे...पर अगला माने ही ना.......... खैर संस्था के एक सदस्य मित्र आगे आये उन्होंने उसे कंधे पर उठाया ... गाडी में डाला और कहीं दूर आराम करने के लिये छोड आये। सम्मेलन सुचारू रुप से चला और ऊंचाईयों पर पहुंचकर सम्पन्न हुआ।

अब असली बात......2014 में फिर से कार्यक्रम की तिथि आ रही थी.......मुझे पिछले वर्ष के अनुभव से घबराहट होने लगी ......इस बार फिर से वैसा ही व्यवधान हुआ तो......अच्छा एक बात और .. हम राजनैतिक लोगों को मंच पर आमंत्रित नहीं करते हैं। समाजसेवी, प्रशासनिक अधिकारी और चिकित्सा या अध्यापन से जुडे कवि हृदय सज्जनों को ही अतिथि के तौर पर बुलाते रहे हैं। तो भाई घबराहट बढती जा रही थी.....फिर सुझाव आया कि अपने क्षेत्र के किसी पावरफुल और दबंग को ही मुख्यातिथि बना दो...........वाह, बात जंच गई। 

नगरपालिका के चेयरमैन साहब को न्यौता गया......पावरफुल भी..दबंग भी और जनता की सपोर्ट भी...... साहब आये.......कार्यक्रम शानदार रहा........बिना किसी व्यवधान के...........एक-आध कोई पप्पू-टिप्पू आया भी होगा तो चेयरमैन को देखकर निकल गया होगा कि उनका बाप बैठा है.........सामने मुख्यातिथि के तौर पर.........थोडी भी चूं-चपड की तो पूरा हाथ डाल देगा.........हलक में.....समझ गये ना।