Sunday, June 27, 2010

कितना गंदा सोचती हो तुम

पुलिसवाला - तुमने पपीते बेचने वाली को किस क्यूं किया
सरदारजी -  वो चिल्ला रही सी पपी ते लै लो, पपी ते लै लो
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मुन्ना - अबे सर्किट, ये डाक्टर लोग आपरेशन के वक्त मरीज को बेहोश क्यों करते हैं
सर्किट - भाई, बोले तो, अगर पेशेंट आपरेशन करना सीख गया तो डाक्टर लोग की तो वाट लग जायेगी ना
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सरदार गलत साईड में ड्राईविंग कर रहा था। और सोच रहा था -
ओह शिट! आज तो बहुत ज्यादा लेट हो गया, सारे लोग वापिस जा रहे हैं।
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पत्नी - वो सामने शराबी देख रहे हो, मैनें दस साल पहले उससे शादी करने से मना कर दिया था।
पति - वाह! इतना लम्बा सेलिब्रेशन
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लडका - वो कौन सी जगह है जहां हर मर्द और औरत के बाल घुंघराले होते हैं
लडकी - तौबा-तौबा, तुम बहुत गंदे हो
लडका - गंदा तुम सोचती हो, वो जगह है वेस्टईंडीज
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Wednesday, June 23, 2010

सास ननद मोहे पल-पल कोसें Roop Salona Dekh

"क्या रंगीं जमाल चेहरा आंखों को भा गया है
आंखों के रास्ते वो दिल में समा गया है"

"सखी पनघट पर जमुना के तट पर लेकर पहुंची मटकी
भूल गई एक बार सब जब छवि देखी नटखट की"
इस एल्बम का नाम है श्याम दी कमली

इस प्यारे भजन के गायक श्री विनोद अग्रवाल जी भजन और सूफी गायक के साथ-साथ संत भी हैं। इनके कंठ से निकले गीत मुझे तो झूमने पर मजबूर कर देते हैं। इस एल्बम से दो और भजन छोटी सी दुल्हनियां और ना जी भर के देखा सुन सकते हैं।

यह गीत करीबन 30 मिनट का है। इसलिये आप खाली समय में सुनेंगें तो ही इस मधुर संगीत का आनन्द ले पायेंगें। अंतरे में धुन है, आपकी आंखें स्वत: बंद हों जायेंगीं और आपको अपार आनन्द की अनुभूति होगी।




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