Tuesday, December 21, 2010

यार फटीचर तू कितना इमोश्नल है यार

श्री राज भाटिया जी और श्री नीरज जाटजी ने आर्थिक सहयोग देने की बात की है। नीरज जी ने तो कल पर्स ही निकाल लिया, बडी मुश्किल से मैनें उन्हें पर्स को वापिस पॉकेट में रखवाया।  (नीरज जाटजी और पाबला जी से हुई मुलाकात के बारे में अगली पोस्ट कल) मैं आप सबकी भावनाओं की कद्र करता हूँ। मैं खुद बहुत भावुक आदमी हूँ। एक सीरियल आता था बहुत पहले "फटीचर"। उसमें पंकज कपूर का शानदार अभिनय है,  उनका ये डॉयलाग बार-बार याद आता है - "यार फटीचर तू कितना इमोश्नल है यार"। उनकी तरह मैं भी बहुत इमोश्नल हो जाता हूँ। मैं  आप सबकी शुभकामनाओं का इच्छुक हूँ और कृप्या मुझे आर्थिक सहयोग देने की बात ना करें। मैनें कल भी बताया था कि कोई आर्थिक समस्या नही हैं। 
 
इस आयोजन से सामाजिक चेतना में कुछ बदलाव आ जाये यही मंशा है मेरी। रोज-रोज "माता" "श्याम" आदि के जागरण कीर्तन आदि लोग करवाते रहते हैं। पैसा भी बहुत खर्च करते हैं। मैं जागरण करवाने या  मन्दिर बनवाने आदि के लिये चंदा देने का पक्षधर नहीं हूँ। (पहले ही इतने मन्दिर, मस्जिद आदि हैं जिनके झगडे चलते रहते हैं, एक और इमारत खडी करके कौन सा दुनिया का भला हो जायेगा) लोग रात भर ऊंघते हुये बैठे रहते हैं। मैं कहता हूँ तुम इन जागरण आदि पर 5-5, 7-7 लाख रुपया खर्च करते हो। इतने में कम से कम 10 लडकियों की शादी और लडके को रोजगार आदि के लिये मदद क्यों नहीं करते हो? पहला प्रयास है मेरे शहर सांपला में इस प्रकार के आयोजन का, शायद इस आयोजन से कुछ जागृति आ जाये, यही मेरा लाभ होगा। 

बैनर
 इस आयोजन से कोई  आर्थिक लाभ लेने की मेरी कभी कोई इच्छा नहीं रही है। मैनें केवल उन लोगों को अपने साथ जोडा है, जिन्होंने इस विचार को पसन्द किया और जो उत्साह से मेरे साथ खडे होंगे और व्यवस्था आदि में मदद करेंगे। कुछ लोग चाहते थे कि मैं उनसे सहयोग राशि ले लूं, लेकिन वे उपस्थिति नहीं दे पायेंगे। तो मैनें उनको साफतौर पर मना कर दिया कि भाई आयोजन से जुडना चाहते हो तो केवल पैसे देकर काम नहीं चलेगा। मेरे मंच का सदस्य बनना पडेगा और समय भी देना होगा और काम भी करने होंगे।  चंदा आदि किसी से लिया नहीं है, केवल वही मित्र जिन्होंने इस विचार को दिल से पसन्द किया है और मंच की सदस्यता स्वीकार की है, आपस में खर्चा बांट लेंगे।  वैसे भी बहुत बडा आयोजन नहीं है और खर्च भी ज्यादा नहीं है। इसके अलावा मैने उन एक-दो लोगों को भी जोडा है जो आर्थिक मदद नहीं कर सकते, लेकिन तन और मन से मेरा साथ दे रहे हैं। सबसे पहले श्री यौगेन्द्र मौदगिल जी का धन्यवाद, जिन्होंने इस कार्य के लिये मुझे प्रेरित किया और मुझे इस कार्य के लायक समझा। आप सबने मेरा बहुत हौंसला बढाया है और अपना आशिर्वाद दिया है, मैं आभारी हूँ और उनका भी जिनका नाम इस लिस्ट में नही है और शुभकामनायें देंगे या दिल ही दिल में दे चुके हैं और व्यक्त नहीं कर पाये हैं।

Monday, December 20, 2010

इस आयोजन के बाद क्या?

कवि सम्मेलन का जिम्मा ले तो लिया जी। पता नहीं कैसे सब व्यवस्था हो पायेगी। आर्थिक तो कोई समस्या नहीं है। बस यह आयोजन बिना हो-हुल्लड और हंगामें के शांति से निपट जाये। बस आप सबका आशिर्वाद चाहिये। अभी तक तो सब तैयारियां ठीक ठाक चल रही है। पहला प्रयास है, सफल हो जाये तो अगली बार के लिये हौंसला आ जायेगा और लोग अपने आप जुड जायेंगे।
शुरु में तो बहुत समस्यायें आयी और अजीब-अजीब बातें भी कही काफी लोगों ने थोडा समय मिलने पर पोस्ट में लिखूंगा। अभी भी डर सा लगता है कि पता नहीं गैदरिंग (श्रोताओं की उपस्थिति) हो पायेगी या नही या कहीं ज्यादा ना हो जाये। बस आप सबके आशिर्वाद की सख्त जरुरत है। पता नहीं आयोजन के बाद गालियां मिलेंगी या लोग सराहेंगे इस काम के लिये। चलो जो होगा देखा जायेगा। बाद में पोस्ट लिखूंगा कि लोगों ने कैसे मेरा हौंसला तोडा और किन मित्रों ने मुझे भरोसा दिया और मेरे कंधे पर हाथ रखकर आगे बढने के लिये कहा।

Wednesday, December 15, 2010

श्री यौगेन्द्र मौदगिल जी ने फंसा दिया मुझे

श्री यौगेन्द्र मौदगिल जी ने फंसा दिया मुझे :-) हा-हा-हा, लेकिन मैं खुश हूँ और अपने आपको सौभाग्यशाली महसूस कर रहा हूँ। धन्यवाद यौगेन्द्र जी।  सांपला में हास्य कवि सम्मेलन करवाने जा रहा हूँ। तैयारियों में व्यस्तता के कारण टिप्पणियां भी नहीं कर पा रहा। हालांकि मोबाईल द्वारा आप सबकी पोस्ट पढता जरूर हूँ। जल्द ही आप सबको निमंत्रण पत्र भी दूंगा। फिलहाल पोस्टर से काम चलाईये।